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*गांव की गौशाला, जानवरों के निवाले जन प्रतिनिधि और सरकारी अमले के पेट में -- ?*

मऊरानीपुर(झांसी) गांव में गो शाला और उनके जानवरों के पेट भरने के नाम पर जन प्रतिनिधि से लेकर सरकारी अमला भूसा के नाम पर अपना पेट भरने में लगे है गौ वंश के भूसा के नाम पर लाखों रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चड रहे है।ऐसा ही एक विचित्र मामला खंड विकास की ग्राम पंचायत बड़ागांव से सामने आया है जो साबित करता है कि जन प्रतिनिधि से लेकर संबंधित सरकारी अमला नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा है।इससे ज्यादा हद की बात क्या होगी कि सम्पूर्ण समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र देने के बाद भी कार्यवाही नही हो रही। ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक बंदर बांट में जा रहा है।यह आरोप यहां के निवासी गोविंददास,मनोहर,कृपाल,
 सिंह,गोरेलाल, केहर सिंह,सुनील,किशोरी, बल्ले,भगवान सिंह,श्याम बिहारी,राजेश, जाहर सिंह,भूपेंद्र सिंह,ज्ञानपाल, भजन लाल, जुम्मन, हन्नू,आनंद, कमल, अजुध्दि,हरदयाल,महेंद्र सिंह,संजय सिंह,रामाधार निषाद,आशाराम सहित दर्जनों ग्रामीण ने चोरों की शिकायत डकेतो से करते हुए आरोप लगाए है कि ग्राम माह जुलाई 24 में 170 गोवंश का फर्जी भुगतान कर ढाई लाख से ज्यादा की सरकारी रकम डकार ली है।आरोप लगाया कि गौशाला में करीब डेढ़ सौ गौवंश रहते है।आरोप है कि मिली भगत से माह अगस्त 24 में 245 जानवर दर्शा कर करीब पौन चार लाख रुपए निकाले गए है। जबकि गौवंश का भूसा गांव वालों से मुफ्त में एकत्रित कर उन्हें खिलाया जा रहा है।भूसा के अलावा जानवरो को हरा चारा,चुनी, चोकर कुछ भी नही खिलाया जा रहा है। गो शाला में रोज जानवर मर रहे है जिन्हें आनन फानन जंगल में फिकवा दिया जाता है। मोसम की मार से बचत के लिए गौ शाला में टीन शेड छाया तक नही है। कच्चे बांस, टट्टर पॉलिथीन डालकर जिम्मेदारी की इति श्री पूरी की जा रही है।जो जानवरों के लिए पर्याप्त नहीं है।आरोप है कि अब भी गौशाला में गौवंश के लिए पर्याप्त खाना नही है।उच्च अधिकारियों के निरिछन की भनक पहले लग जाती है इस तत्काल गौवंश हांककर गौशाला में दर्शाए जा रहे है।खाना पूर्ति होते ही फिर वही ढाक के तीन पात शुरू हो जाते है।आरोप है कि यदि गौशाला है तो गौवंश आखिर गांव की सड़क पर कैसे आ जाता है। ऐसे में किसान परेशान हो रहे है।कारण गौवंश भूख मिटाने खेतो में घुस जाते है जिससे फसल चौपट हो रही है। आरोप है कि टोकन लगे गौवंश आखिर बाहर कैसे घूम रहे है।कुल मिलाकर आरोपों की बौछार बताती है कि डाल में कुछ भी काला नही है बल्कि पूरी दाल ही काली है।यह मामला अब ग्राम विकास, व पंचायत राज विभाग लखनऊ में दस्तक देने वाला है।यदि सब सिस्टम में नही आए तो जन प्रतिनिधि से लेकर संबंधित सरकारी अमले पर जांच की गाज गिरेगी। सच और झूठ क्या है यह निश्प्छ जांच तय करेगी।
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