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*जैसा कर्म वैसा फल*

                                                                  मऊरानीपुर(झांसी) श्री शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम में चल रही भागवत कथा क्रम में ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि कंस का बध करने  लिए जब  भगवान उसके सामने पहुंचे तो कँस ने कहा कि कह्नैया मैंने तुम्हारा कोई नुक़सान तो किया नहीं है फिर भला तुम मुझे मारने क्यों आए हो।इस पर भगवान ने कहा कंस मैं न किसी को मारता हूं और न किसी को जीवन देता हूं। मैं तो यह करता हूं कि जो जैसा करता है मैं उसको वैसा ही फल देता हूं।तुमने मेरी मा के केश पकड़ कर उसे रथ से नीचे फेका था; मैं भी तेरे केश पकड़ कर तुझे सिंहासन के नीचे फेँकूगा।यह‌ कह कर भगवान ने  उसे यमलोक पंहुचा दिया।।
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