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विचित्र चरित्र हैं कह्नैया के*

 मऊरानीपुर,(झांसी)अति विचित्र रघुपति चरित जानहिं परम सुजान""अर्थात भगवान के ऐसे विचित्र चरित्र हैं कि सामान्य जन उन्हें जान ही नहीं सकते।श्री ब्रह्मचारी जी ने कह्नैया की एक ऐसी ही विचित्र कथा कहते हुए बताया कि अपनी दश वर्ष की अवस्था में कृष्ण एक बार किसी गोपी के घर गए और उसे गोबर फेंकते हुए कहा कि मैं तेरा  गोबर फेंक देता हूं अगर तू मुझे हर एक डलिया के बदले एक मक्खन की टिक्की दे।गोपी ने स्वीकार किया और श्री कृष्ण के कथनानुसार डलिया गिनने के लिए भगवान के मस्तक और‌ मुख पर गोबर से ही लाइनें खींचने लगी।बाद  में कुछ डलियां फेककर भगवान अदृश्य हो गए। फिर भी गोपी समझ नहीं पाई।बाद में सायंकाल रास के समय जब उसने भगवान के मत्थे पर उसी गोबर के निशान देखे तब वह कह्नैया की विचित्र लीला को जान पाईऔर उनके पैर पकड़ कर खूब रोई।।
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