header

भगवान को जानना नहीं मानना है*

मऊरानीपुर(झांसी)श्री मद् भागवत कथा के क्रम में श्रद्धेय ब्रह्मचारी जी ने कहा कि जगत्पिता का स्वरूप अनन्त और अगम है।उनको जानना किसी के वश में नहीं है इसी लिए जीव को विश्वास करके  उन्हें मानना है;जानना नहीं है।इसका प्रमाण देते हुए उन्होंने भगवती पार्वती की जीवन कथा सुनाई और बताया कि वन में वनवास के अवसर पर सामान्य व्यक्ति की तरह आचरण करते उन्हें श्री रामावतार पर भ्रम हुआ तो उन्होंने श्रीराम की परीक्षा लेकर सीता का रूप धारण कर मर्यादा का उल्लंघन किया।फल यह हुआ कि वे पिता के घर जाकर आत्म दहन के लिए विवश हुईं।कारागार के बन्धन में बँधी देवकी ने जब कृष्ण के चतुर्भुज रूप को देखा तो उन्होंने भगवान से यह प्रार्थना कि प्रभु!आप मुझे अपना बाल रूप दिखाइए जिससे मैं आपको अपना पु्त्र मान सकूं।।
Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.