मऊरानीपुर(झांसी)श्री शान्ति निकेतन धनुषधारी आश्रम में चल रही राम कथा के क्रम में श्री ब्रह्मचारी जी ने कहा कि मिथला के मंच पर राजा जनक ने जैसे ही आगत राजाओं से धनुष उठाने के लिए कहा तो सभी ने अपने अपने इष्टदेवों का स्मरण करके धनुष उठाना चाहा किन्तु धनुष किसी से उठ नहीं सका।किन्तु जब श्री राम धनुष उठाने गए तो उन्होंने मन ही मन अपने गुरुदेव का स्मरण कर न केवल धनुष उठाया अपितु सहज में ही उसे तोड़ दिया।महाराज जी बताया
कि गुरु चरणों में एक ऐसी दिव्य ज्योति होती है जो आराधक को अपूर्व शक्ति से भर देती है ,जिससे वह कठिन से कठिन काम कर सकता है। श्री राम जीवन,पस्तोर ने कहा कि जनक के द्वारा कहे गए अपमान जन्य बचनों पर श्री लक्ष्मण
ने कहा प्रभु की आज्ञा होने पर मैं न केवल धनुष तोड़ सकता हूं अपितु पूरे
ब्रह्माण्ड को ध्वस्त कर सकता हूं।कथा के आरम्भ में श्री मती ममता त्रिपाठी
ने व्यास पूजन किया और डा गदाधर त्रिपाठी ने मंच का संचालन किया। कथा में हरि ओम श्रीधर, ओम प्रकाश
शर्मा, रमेश चन्द्र दीक्षित, राज कुमार ,विनय कुमार,अभिषेक राय,
स्वामी राय,, मनीषा दीक्षित, विमला दीक्षित, सुशीला त्रिपाठी,
कैलाश दीक्षित , डा कृष्णा पाण्डेय ,जनार्दन मिश्र ,
सुशील पुरवार ,
सुरेन्द्र रिछारिया, दिनेश पटैरिया ,विशाल
तिवारी,रवीन्द्र दीक्षित, शरदेन्दु सुल्लेरे,, रमेश सोनी
दिनेश राजपूत, भइया जी सूरौठिया, आशु भारद्वाज ,, राकेश राय ,कालका प्रसाद भरद्वाज, प्रभाकर पाण्डेय, सन्तोष कुमार मिश्र,काजल द्विवेदी, किशोरी शरण अरजरिया, हरी मोहन ताम्रकार,
जय प्रकाश खरे विमला खरे
आयुष खरे सुभाष अवस्थी आर, के,त्रिपाठी, ,मुरारी लाल
राम देवी कुशवाहा,सिद्धि दुबे,पूजा त्रिपाठी,कृष्ण गोपाल बबेले ,
,बृजेंद्र त्रिपाठी, अभिषेक राय आदि मौजूद रहे।